एग्रीकल्चर को कमर्शियल एग्रीकल्चर बनाए किसान
सार
एग्रीकल्चर भारतीय अर्थव्यवस्था का एक मुख्य स्तम्भ है जिसने देश के 60 प्रतिशत लोगो को रोजगार दिया है व देश के सकल घरेलू उत्पाद में इसकी 17 प्रतिशत भागीदारी है। भारत में कृषि का प्रारम्भ उत्तरपश्चिमीय प्रान्त में 9000 ईसा पूर्व वर्षारोपण, घरेलू स्तर पर फसलों को उगाने व जानवरों के रख रखाव से शुरू हुआ था। धीरे-धीरे आवशयकतानुसार इसमें कई बदलाव आते गए जैसे की सिंचाई के स्त्रोतों को तलाशा गया क्योंकि कृषि मौसम पर आधारित होती है और फसल को सूखे से बचाने के लिए सिंचाई की आवशयकता होती है अतः धीरे-धीरे आवशयकतानुसार कृषि से जुड़ी विभिन्न जरुरतों पर भी ध्यान केन्द्रित किया गया। पुरातन समय मे लोग मुख्यतः अपने जीवनयापन के लिए ही खेतीबाड़ी किया करते थे। उस समय कोई वस्तु खरीदने के लिए वस्तु विनिमय प्रणाली (बारटर सिस्टम) का प्रचलन था। यह वह प्रणाली होती थी जब किसी एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु को लिया या दिया जाता था। इस समय रुपये-पैसे का इस्तेमाल नही किया जाता था। अतः इसलिए मनुष्य ने कभी कमर्शियल एग्रीकल्चर अपनाने को नही सोचा परन्तु आज के समय में जीवनयापन हेतु रुपये-पैसे की आवश्यकता होती है। अतः हमारे किसानों को एग्रीकल्चर को कमर्शियल एग्रीकल्चर के रुप में अपनाने की जरुरत है।